रास्ते का पत्थर मैं रास्ते का पत्थर हूँ , मुझे रास्ते से हटा दो ....... मानूँगा तुम्हारे एहसान को , गर मेरी मंजिल तक पहुँचा दो ..... लोग न जाने कितनी ठोकरें मुझे मारते हैं , अपनी मंजिल की रुकावट समझ सारा गुस्सा मुझ पर उतारते हैं ....... चाहे मैं बेबस , लाचार हूँ खुद अपनी मंजिल तक नहीँ पहुंच पाउंगा , पर मुफत की ठोकरें नहीँ खाउंगा ..... मुझे मेरी मंजिल तक पहुँचा दो , किसी वीराने में मुझे जगह दो ........... रास्ते का पत्थर