आँखाें से अँधी,जुबां से गूंगी सिर्फ सुनना जानती है जाे अपनाें कि खातिर जल जाए,मिट जाए,,सृजन औ संहार करे ताे औरत कहलाती है.. सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 सभी प्रतिभागी अपनी अभिव्यक्ति के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं 💗 पंक्तियों की बाध्यता नहीं है.