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बच्चों संग मित्र बन खेलते, उनको उपहार दिला कर, खुश

बच्चों संग मित्र बन खेलते,
उनको उपहार दिला कर,
खुशी देते।
बच्चों यूं ही मुस्कुराओं की
दुआ देते मेरे पिता।।

संकट में पतवार बन खड़े होते,
आश्रय स्थल जैसे है मेरे पिता।
बूंद बूंद सब को समेटते,
अंधेरी में देकर हौसला,
कहते मेरे पिता।।

तुम को किस का डर है,
गमों की भीड़ में,
हंसना सिखाते,
मेरे पिता।

और अपने दम पर,
तूफानों से लड़ना,
किसी के आगे तुम नहीं झुकना,
ये सीखलाते मेरे पिता।

©D.J. Prajapati
  # Mere Pita kavita

# Mere Pita kavita #कविता

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