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शबे- वस्ल की राहत, रात बहुत "गम" पैदा करती है। फिर

शबे- वस्ल की राहत, रात बहुत "गम" पैदा करती है।
फिर उसकी तन्हाई सुबह तक सिराने सोया करती है।

ख्वाब मैंने भी देखें है "अपनी दुनिया" के बहुत, 
छिपके "घर की ज़िममेदारी" कानों को शोर पैदा करती है।

एक ओर साल बीता ख्वाब का ख्वाब देखते हुए
हर रोज़ का सफर "उम्र" को थकान पैदा करती है।

(शबे- वस्ल -- मिलन की रात्रि) #love #urdu #pain #poetry
शबे- वस्ल की राहत, रात बहुत "गम" पैदा करती है।
फिर उसकी तन्हाई सुबह तक सिराने सोया करती है।

ख्वाब मैंने भी देखें है "अपनी दुनिया" के बहुत, 
छिपके "घर की ज़िममेदारी" कानों को शोर पैदा करती है।

एक ओर साल बीता ख्वाब का ख्वाब देखते हुए
हर रोज़ का सफर "उम्र" को थकान पैदा करती है।

(शबे- वस्ल -- मिलन की रात्रि) #love #urdu #pain #poetry
johndeep5395

john_deep

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