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रंग उल्फत के हाँ उस रोज़ तू भी हजार देखेगी जिस रो

रंग उल्फत के हाँ उस रोज़ तू भी हजार देखेगी 
जिस रोज़ मेरी ख़बर को कोई अखवार देखेगी 

मेरी दिल्लगी ने ही तुझे पलकों पर बिठाया है 
नीचे गिरकर ख़ुद को यक़ीनन तार तार देखेगी 

जिसे दोगलों की तलाश हो आकर तुझे देख लें 
भटकते हुए, कहाँ पूरी क़ायनात बेकार देखेगी 

तेरी फ़ितरत में है, मुहब्बत तुझे कहाँ रास आएगी 
इक जाम होठों से लगा फिर दूजा तलबगार देखेगी 

हाँ कभी तो तुझे अपने किये का एहसास होगा 
उस दिन मिल लेना जब तू ख़ुद को बेज़ार देखेगी 

अभी गुमाँ होना लाजिमी है 'सनम' उसे हुस्न का 
आँखें खुलेगी, जब क़रीब अपनी मजार देखेगी 
                            ©technocrat_sanam So the wait is over..
My new poetry is ready here..
J's enjoy it and feel better 😅😇😉
अखवार.. (ghazal) 

रंग उल्फत के हाँ उस रोज़ तू भी हजार देखेगी 
जिस रोज़ मेरी ख़बर को कोई अखवार देखेगी
रंग उल्फत के हाँ उस रोज़ तू भी हजार देखेगी 
जिस रोज़ मेरी ख़बर को कोई अखवार देखेगी 

मेरी दिल्लगी ने ही तुझे पलकों पर बिठाया है 
नीचे गिरकर ख़ुद को यक़ीनन तार तार देखेगी 

जिसे दोगलों की तलाश हो आकर तुझे देख लें 
भटकते हुए, कहाँ पूरी क़ायनात बेकार देखेगी 

तेरी फ़ितरत में है, मुहब्बत तुझे कहाँ रास आएगी 
इक जाम होठों से लगा फिर दूजा तलबगार देखेगी 

हाँ कभी तो तुझे अपने किये का एहसास होगा 
उस दिन मिल लेना जब तू ख़ुद को बेज़ार देखेगी 

अभी गुमाँ होना लाजिमी है 'सनम' उसे हुस्न का 
आँखें खुलेगी, जब क़रीब अपनी मजार देखेगी 
                            ©technocrat_sanam So the wait is over..
My new poetry is ready here..
J's enjoy it and feel better 😅😇😉
अखवार.. (ghazal) 

रंग उल्फत के हाँ उस रोज़ तू भी हजार देखेगी 
जिस रोज़ मेरी ख़बर को कोई अखवार देखेगी

So the wait is over.. My new poetry is ready here.. J's enjoy it and feel better 😅😇😉 अखवार.. (ghazal) रंग उल्फत के हाँ उस रोज़ तू भी हजार देखेगी जिस रोज़ मेरी ख़बर को कोई अखवार देखेगी