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उनकी कलम से, आवाज़ आपकी... आज के कलमकार हैं- 'मुनीर

उनकी कलम से, आवाज़ आपकी...
आज के कलमकार हैं- 'मुनीर नियाज़ी' 
उर्दू और पंजाबी की शायरी को समर्पित मुनीर नियाज़ी साहब, जिनका असली नाम मुनीर अहमद था, इनके निराले अंदाज को सुनने मुशायरों में आये श्रोता मंत्र मुग्ध होकर सुनते थे। इनका जन्म 9 अप्रैल 1923 को होशियारपुर, पंजाब, भारत में हुआ। मुनीर साहब उन पांच उर्दू शायरों में से एक हैं, जिनका कई यूरोपियन भाषाओं में ख़ूब अनुवाद किया गया है। मुनीर नियाज़ी साहब के 11 उर्दु और 4 पंजाबी संकलन प्रकाशित हैं, जिनमें ‘तेज हवा और फूल’, ‘पहली बात ही आखिरी थी’ और ‘एक दुआ जो मैं भूल गया था’ जैसे मशहूर नाम शामिल हैं। 
#Kalamse

उनकी कलम से, आवाज़ आपकी... आज के कलमकार हैं- 'मुनीर नियाज़ी' उर्दू और पंजाबी की शायरी को समर्पित मुनीर नियाज़ी साहब, जिनका असली नाम मुनीर अहमद था, इनके निराले अंदाज को सुनने मुशायरों में आये श्रोता मंत्र मुग्ध होकर सुनते थे। इनका जन्म 9 अप्रैल 1923 को होशियारपुर, पंजाब, भारत में हुआ। मुनीर साहब उन पांच उर्दू शायरों में से एक हैं, जिनका कई यूरोपियन भाषाओं में ख़ूब अनुवाद किया गया है। मुनीर नियाज़ी साहब के 11 उर्दु और 4 पंजाबी संकलन प्रकाशित हैं, जिनमें ‘तेज हवा और फूल’, ‘पहली बात ही आखिरी थी’ और ‘एक दुआ जो मैं भूल गया था’ जैसे मशहूर नाम शामिल हैं। #Kalamse

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