तारों से इश्क़ लिखदू, फूलों से धूप रंग दू एक रूप तेरा महताब जैसा, तार पे लहरे तेरा सतरंगी दुप्पटा मैं कुछ भी नहीं आगे तेरे, बस तेरा अहसास क़ायम है मुझमें जो मुझे भटकने नहीं देता मैं जहां भी, वही तेरे ख़्वाबों ख़्याल कुछ सुनहरे , तोह कुछ बेमिसाल अबतक धड़कन जुड़ी है दिल से सच है गुनगुनाती भी है, तेरी आवाज़ मौन झील से आती है मैं परिदों के हाथ तुझे नज़्म भेज दूं, तू कुछ तोह बोल यहां रोज़ मैं आता हूं और तू जगती नहीं, ये नज़र है ज़िद्दी तुझसे हटती नही तू डरती थी अंधेरे घर में, तभी तोह एक दिया यहां रोज़ जलाता हूं तू मिलना मुझे तू ही मिलना हरजन्म, देख मैं अपने प्यार अपनी बेटी के साथ हमारे लिए थोड़ा थोड़ा अब भी मुस्कुराता हूं ये तेरे कंगन झुमके सब सामान जब ये बेटी बड़ी होगी तब इसको दूंगा, तेरी झलक इसमें अभी भी दिखती है बाद इसके में लिपट कर खूब जी भरके रो लूंगा हवा,दीवारों,आईनों और तस्वीरों को ख़बर तक नहीं होगी, मेरे आख़िरी वक्त में मैं तेरे, यही पर मिट्टी में दाहिनी ओर तुझे सोया हुवा मिलूंगा...!!!!! ©Surendra Singh वफ़ा के रंग दो भी हज़ार भी 👥🙏🙏