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ख़्वाब नयनो में हम सजाते रहेंगे, बनकर दीप

ख़्वाब  नयनो   में  हम   सजाते  रहेंगे,
बनकर  दीप  ख़ुद  को  जलाते  रहेंगे।
मिल  न जाती,  मन्जिल  जब  तलक,
ख़ुद  को  'मुहम्मद गौरी'  बताते रहेंगे।
कदम यूँ ही बढ़ाते रहेंगे...

हार - जीत तो आते  और जाते  रहेंगे,
शायद  ये   हमको  आजमाते   रहेंगे।
और  भी अटूट हो  जायेगा  प्रण मेरा,
लौह भठ्ठी  मे  ख़ुद को  तपाते  रहेंगे।
कदम यूँ ही बढ़ाते रहेंगे...

दर्द   पाकर  भी...   मुस्कुराते  रहेंगे,
पत्थर  रास्तों  से  हम  हटाते  रहेंगे।
जब   तक  रही  ये   ज़िन्दगी   मेरी,
एकाद  दौड़ इससे भी लगाते  रहेंगे।
कदम यूँ ही बढ़ाते रहेंगे...

                 सतेन्द्र गुप्ता #nojoto
ख़्वाब  नयनो   में  हम   सजाते  रहेंगे,
बनकर  दीप  ख़ुद  को  जलाते  रहेंगे।
मिल  न जाती,  मन्जिल  जब  तलक,
ख़ुद  को  'मुहम्मद गौरी'  बताते रहेंगे।
कदम यूँ ही बढ़ाते रहेंगे...

हार - जीत तो आते  और जाते  रहेंगे,
शायद  ये   हमको  आजमाते   रहेंगे।
और  भी अटूट हो  जायेगा  प्रण मेरा,
लौह भठ्ठी  मे  ख़ुद को  तपाते  रहेंगे।
कदम यूँ ही बढ़ाते रहेंगे...

दर्द   पाकर  भी...   मुस्कुराते  रहेंगे,
पत्थर  रास्तों  से  हम  हटाते  रहेंगे।
जब   तक  रही  ये   ज़िन्दगी   मेरी,
एकाद  दौड़ इससे भी लगाते  रहेंगे।
कदम यूँ ही बढ़ाते रहेंगे...

                 सतेन्द्र गुप्ता #nojoto