देखा है यह आनन कब सस्मित कुवलय से रीता है ये भीतर का आनंद मधुर बाइबल कुरान है गीता है मुस्कानों को बाहर खोजे वो एक भरम में जीता है उर भीतर ही जो पा जाता उसने हर अंतर जीता है यों हरदम ही मुस्काने को कोई पागलपन कहता है वो ही इसको गुनते जिनमें ये नित्य निरन्तर बहता है वो सबसे मुस्काकर मिलता समरस सरिता सा रहता है वो मीत मिताई मगन रहे कह ले जो जग बैरी कहता है #toyou#yqfriendship#yqsmileforall#yqtoilless#yqpatience#yq reflection