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सात समंदर पार से भी साजन मेरा, मेरी परवाह करता है,

सात समंदर पार से भी साजन मेरा, मेरी परवाह करता है,
भेजता है पैगाम प्यार के, मेरे लिए ही दिन रात मचलता है।

सात समुंदर की दूरियांँ भी ना बढ़ा सकेंगे दिलों के फासले,
साजन मेरा उस पार है फिर भी मेरे प्यार में दिल धड़कता है।

चाँद का रूप बनाकर मुझसे, वो रोज-रोज ही मिलने आता है,
देखकर उसका चेहरा चांँद में, मेरे दिल को भी सुकून आता है।

तड़पता रहता है शाम- ओ -पह,र वह मेरे ही प्यार की खातिर,
देता है मुझ को दिलासा और खुद को भी समझाता रहता है।

मेरे पास आकर धीरे से हवा उसके प्यार का पैगाम ले आती है,
आएगा  मुझसे मिलने जल्दी रोज ये कहकर दिल को बहलाता है।


 ♥️ Challenge-498 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 

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सात समंदर पार से भी साजन मेरा, मेरी परवाह करता है,
भेजता है पैगाम प्यार के, मेरे लिए ही दिन रात मचलता है।

सात समुंदर की दूरियांँ भी ना बढ़ा सकेंगे दिलों के फासले,
साजन मेरा उस पार है फिर भी मेरे प्यार में दिल धड़कता है।

चाँद का रूप बनाकर मुझसे, वो रोज-रोज ही मिलने आता है,
देखकर उसका चेहरा चांँद में, मेरे दिल को भी सुकून आता है।

तड़पता रहता है शाम- ओ -पह,र वह मेरे ही प्यार की खातिर,
देता है मुझ को दिलासा और खुद को भी समझाता रहता है।

मेरे पास आकर धीरे से हवा उसके प्यार का पैगाम ले आती है,
आएगा  मुझसे मिलने जल्दी रोज ये कहकर दिल को बहलाता है।


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