तअल्लुक़ में कुछ भी नहीं दोस्ती की तरह बेहतर था कि रहते हम अजनबी की तरह ~हादी तअल्लुक़ में कुछ भी नहीं दोस्ती की तरह बेहतर था कि रहते हम अजनबी की तरह ~हादी