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हम तुम घरों में क्या बैठे, परिंदे आजाद हो गये। 🕊️

हम तुम घरों में क्या बैठे,
परिंदे आजाद हो गये।
🕊️
भोर से लिपट
अपने घोंसलों से निकल
फिर एकसाथ हो गये।
🐦       🕊️         🌄
नहीं रुक रहा चहचहाना
सुरज सिर तलक आया है फिर भी,
गीत मिलन के गा गा कर
आज मौन को थामे शोर हो गये।
🎸                🕊️
रसोई में चटकते तेल के संग भी माँएं सुन रही हैं; चहचहाना उनका
बस आज भीड़ ने दहलीज़ की ठानी
और
घोंसलों के दरवाजे मुंडेर हो गये..🕊️..मुंडेर हो गये 🐦
#daminiquote ✍️
🌠 हम तुम घरों में क्या बैठे,
परिंदे आजाद हो गये।
🕊️
भोर से लिपट
अपने घोंसलों से निकल
फिर एकसाथ हो गये।
🐦       🕊️         🌄
नहीं रुक रहा चहचहाना
हम तुम घरों में क्या बैठे,
परिंदे आजाद हो गये।
🕊️
भोर से लिपट
अपने घोंसलों से निकल
फिर एकसाथ हो गये।
🐦       🕊️         🌄
नहीं रुक रहा चहचहाना
सुरज सिर तलक आया है फिर भी,
गीत मिलन के गा गा कर
आज मौन को थामे शोर हो गये।
🎸                🕊️
रसोई में चटकते तेल के संग भी माँएं सुन रही हैं; चहचहाना उनका
बस आज भीड़ ने दहलीज़ की ठानी
और
घोंसलों के दरवाजे मुंडेर हो गये..🕊️..मुंडेर हो गये 🐦
#daminiquote ✍️
🌠 हम तुम घरों में क्या बैठे,
परिंदे आजाद हो गये।
🕊️
भोर से लिपट
अपने घोंसलों से निकल
फिर एकसाथ हो गये।
🐦       🕊️         🌄
नहीं रुक रहा चहचहाना

हम तुम घरों में क्या बैठे, परिंदे आजाद हो गये। 🕊️ भोर से लिपट अपने घोंसलों से निकल फिर एकसाथ हो गये। 🐦 🕊️ 🌄 नहीं रुक रहा चहचहाना #NarendraModi #कविता #daminiquote #jantacurfew #राष्ट्र_प्रथम #humanity1