हम तुम घरों में क्या बैठे, परिंदे आजाद हो गये। 🕊️ भोर से लिपट अपने घोंसलों से निकल फिर एकसाथ हो गये। 🐦 🕊️ 🌄 नहीं रुक रहा चहचहाना सुरज सिर तलक आया है फिर भी, गीत मिलन के गा गा कर आज मौन को थामे शोर हो गये। 🎸 🕊️ रसोई में चटकते तेल के संग भी माँएं सुन रही हैं; चहचहाना उनका बस आज भीड़ ने दहलीज़ की ठानी और घोंसलों के दरवाजे मुंडेर हो गये..🕊️..मुंडेर हो गये 🐦 #daminiquote ✍️ 🌠 हम तुम घरों में क्या बैठे, परिंदे आजाद हो गये। 🕊️ भोर से लिपट अपने घोंसलों से निकल फिर एकसाथ हो गये। 🐦 🕊️ 🌄 नहीं रुक रहा चहचहाना