जैसे सूरज करता है इंतज़ार, अंधेरे के छटने की। जैसे पंछी करते हैं इंतज़ार, सूरज के ढलने की। जैसे चांद करता है इंतज़ार, रोशनी के हटने की। जैसे बच्चे करते है इंतज़ार, स्कूल की छुट्टी की। जैसे सब करते हैं इंतज़ार, सप्ताह में इतवार की। मैं भी करती हूं इंतजार, सुबह से शाम होने की। क्योंकि शाम होते ही मेरे हमसफ़र आयेगे। #मेरे हमसफ़र आयेगे