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#OpenPoetry लहू का बलिदान आज फिर एक माँ ने अपना

#OpenPoetry 
लहू का बलिदान 
आज फिर एक माँ ने अपना बेटा खोया
आज फिर एक बेटी ने अपना पिता खोया
आज फिर एक बहन ने अपना भाई खोया
तेरी बलिदान का कर्ज़ वर्थ नहीं जायेगा
तेरी शहादत पे रोया पूरा देश था,
आँसू उसे भी आया था जो तेरी पहचान से अंजान था
अधिकार मिलते नहीं लिए जाते हैं
आज़ाद हैं मग़र ग़ुलामी किए जाते हैं
नमन करो उन शूरवीरों का जो मौत के आँचल में जिए जाते हैं
कुछ हाथ से मेरे निकल गया
वो नज़र चुरा छिप गया
फिर लाश बिछ गए हज़ारों की, सब पलक झपका भूल गए
तेरा नाम लोग भूल जाए,
मग़र तेरी आहुति एतिहासिक में याद रहेगा
इस जंग में जीता कौन हारा कौन
किसे ने अपना दर्द रोके बयान कर दिया
किसे ने दर्द को अपने फर्ज़ के आगे दबा दिया
इस लड़ाई का अंत का पता नहीं कब तक चलते रहेगा
ना जाने और कितने जाँबाजो का जज़्बा एक अधूरा अंत रह जाएगा #OpenPoetry fauji ki dastan
#OpenPoetry 
लहू का बलिदान 
आज फिर एक माँ ने अपना बेटा खोया
आज फिर एक बेटी ने अपना पिता खोया
आज फिर एक बहन ने अपना भाई खोया
तेरी बलिदान का कर्ज़ वर्थ नहीं जायेगा
तेरी शहादत पे रोया पूरा देश था,
आँसू उसे भी आया था जो तेरी पहचान से अंजान था
अधिकार मिलते नहीं लिए जाते हैं
आज़ाद हैं मग़र ग़ुलामी किए जाते हैं
नमन करो उन शूरवीरों का जो मौत के आँचल में जिए जाते हैं
कुछ हाथ से मेरे निकल गया
वो नज़र चुरा छिप गया
फिर लाश बिछ गए हज़ारों की, सब पलक झपका भूल गए
तेरा नाम लोग भूल जाए,
मग़र तेरी आहुति एतिहासिक में याद रहेगा
इस जंग में जीता कौन हारा कौन
किसे ने अपना दर्द रोके बयान कर दिया
किसे ने दर्द को अपने फर्ज़ के आगे दबा दिया
इस लड़ाई का अंत का पता नहीं कब तक चलते रहेगा
ना जाने और कितने जाँबाजो का जज़्बा एक अधूरा अंत रह जाएगा #OpenPoetry fauji ki dastan