हम एक उम्र इसी ग़म में डूबे जा रहे थे
उन्हें मुहब्बत थी ही नही जैसा के वो दिखा रहे थे।
मैं हिज़्र में लिखता रहा ग़ज़ल पे ग़ज़ल
वो रकीब संग अपनी रातें सज़ा रहे थे
इसीलिए तो वह याद है अबतलक जेहन में मेरे।
हम भूल सकते थे पर हम नज़्म बना रहे थे। #ishq#कविता#nojotohindi#longform#असग़र#ग़ज़ल_अभ्यास