ज़िन्दगी सिसकी से शुरू होकर " हिचकी पर ख़त्म हो जाने वाला एक मुख़्तसर तरीन अमल है " जो शुरू मिट्टी के ऊपर होता है ! लेकिन ख़त्म हमेशा मिट्टी के निचे होता है ख़ाक से बने इंसान को तब तक समझ नहीं आती जब तक ख़ाक की ख़ुराक नहीं हो जाता । ©Jeet Chouhan #Eid-e-milad