हीलता सम्बल नही लाख कंकड फेंक लो जीतते बुज्दिल नहीं आजमां कर देख लो सूर्य हूं मैं वो सदा जो कभी छिपता नहीं अगर परखना है मुझे- चांद लाओ,...तारे लाओ...,जहां के सारे लाओ तेज है मेरा ये कैसा सबको मिलाकर कर जांच लो # कवि लक्ष्य