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पेड़ की गुफ्तगू कविता अनूशीर्षक में पढें तट पर ख

पेड़ की गुफ्तगू

 कविता अनूशीर्षक में पढें तट पर
खड़ा वह,
सोच रहा,
बह रही है यह शांत
निर्मल होकर,
कितनी बेबस सी,
तटों के बीच,
पेड़ की गुफ्तगू

 कविता अनूशीर्षक में पढें तट पर
खड़ा वह,
सोच रहा,
बह रही है यह शांत
निर्मल होकर,
कितनी बेबस सी,
तटों के बीच,
sitalakshmi6065

Sita Prasad

Bronze Star
Growing Creator

तट पर खड़ा वह, सोच रहा, बह रही है यह शांत निर्मल होकर, कितनी बेबस सी, तटों के बीच, #yqdidi #bestyqhindiquotes #poetsdiary