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इजाज़त सफ़र में हाथ छुड़ाने की इजाज़त नहीं है, मेरी मह

इजाज़त
सफ़र में हाथ छुड़ाने की इजाज़त नहीं है,
मेरी महफ़िल से यूँ जाने की इजाज़त नहीं है।
हमारे बीच अगर प्रेम हो तो सच्चा हो,
किसी भी झूठे बहाने की इजाज़त नहीं है।
तुम्हें आना है तो आओ मेरे अपने की तरह,
ऐसे मेहमान-सा आने की इजाज़त नहीं है।
हो अगर पक्का, तो लगाओ मुझे जी भर के,
कच्चे रंगों को लगाने की इजाज़त नहीं है।
कहीं कुछ भी, किसी के मन में हो, बेख़ौफ़ कहो,
कोई भी बात छिपाने की इजाज़त नहीं है। #इजाज़त #महफ़िल #प्रेम #रंग #मेरीक़लमसे #ग़ज़ल #pravesh_kanha #merikalamse
इजाज़त
सफ़र में हाथ छुड़ाने की इजाज़त नहीं है,
मेरी महफ़िल से यूँ जाने की इजाज़त नहीं है।
हमारे बीच अगर प्रेम हो तो सच्चा हो,
किसी भी झूठे बहाने की इजाज़त नहीं है।
तुम्हें आना है तो आओ मेरे अपने की तरह,
ऐसे मेहमान-सा आने की इजाज़त नहीं है।
हो अगर पक्का, तो लगाओ मुझे जी भर के,
कच्चे रंगों को लगाने की इजाज़त नहीं है।
कहीं कुछ भी, किसी के मन में हो, बेख़ौफ़ कहो,
कोई भी बात छिपाने की इजाज़त नहीं है। #इजाज़त #महफ़िल #प्रेम #रंग #मेरीक़लमसे #ग़ज़ल #pravesh_kanha #merikalamse