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तू मद्धम बारिश तो मैं क्षितिज की बरसों प्यास सा, त

तू मद्धम बारिश तो मैं क्षितिज की बरसों प्यास सा,
तू कलकल सरिता तो मैं हो जाऊं किनारों का साथ सा।
जो मैं राही तो तु रहता मुझे मंज़िल की आस सा,
जो मैं कुछ मांगू तो तू होता खुदा से हर इक अरदास सा।

©Vishal Tripathi
  तू मुझमें हर अंदाज़ सा

तू मुझमें हर अंदाज़ सा #Poetry

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