Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बचपन का एक ख़्वाब। बचपन के साथ ख़त्म हुआ। हत्यारे तो बचपन के हो तुम। बचपन में जीना था। बड़ा कहकर बचपन ही। रोदं दिया रोज़ रोज़ ख़ुद। को ख़ुद में ही खोना पड़ा। ज़िन्दगी मेरी थी तो क्या। जीना ख़ुद के लिए था। दूसरों के लिए शुरूं कर दिया। औरत की ज़िन्दगी भी क्या है? औरत की ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई। औरत से उम्र ना पूछना जंनाब। हंस कर वो नहीं बताएंगी। जितना वो ख़ुद के लिए जीती। वहीं तो बताएंगी। बचपन के कुछ ख़्वाब पड़े हैं आँखों में बचपन की कुछ साँसें पड़ी हैं साँसों में। #बचपनकाख़्वाब #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बचपन का एक ख़्वाब।