शहर भावना हीन, संवेदना हीन भीड़ से भरा, पर बेबस खड़ा वो ताकता रहा हजारों की भीड़ में लाखों के चेहरे और उसे बस देखना था वो शहर था, वो बस देख सकता था और वो बस चुपचाप देखता रहा हर रात हर सुबह।। #अंकित सारस्वत # ##शहर