तुझे बढ़ने नही दूँगा तुझे पड़ने नही दूँगा शामिल हर जगह होगी,फैसले नही करने दूँगा लकीर समझ ,आगे नही जाना, मुझसे आगे नही जाना इतना ही जी ले ,फिर नया कोई कानून बना दूँगा अभी वक्त नही आया, कि वक्त दो अपनेआप को बेशक तूम उड़ जाओ, मैं और पंख नही लगने दूँगा रोती बिलखती रहे ,हँसती भी रहे तो मेरे आसमाँ में तस्वीरों में सजाता हूँ बस इबादत करवाता रहुँगा तू हिस्सा है कायनात का ,खयाल कर आधी बात का इबादत करती हो सलाखों की, तहखाने बनाता रहुँगा