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चलो कहीं भी, बस लौटते रहो, घर की राहों को जोड़ते



चलो कहीं भी, बस लौटते रहो,
घर की राहों को जोड़ते रहो।
चाहे दूरियां हो कितनी भी बड़ी,
घर की यादों से मन को संजोते रहो।

सपनों की उड़ान भर लो आसमान में,
पर ज़मीन से नाता जोड़ते रहो।
हर ठांव पर मिलेगी मंज़िल नई,
पर घर की दहलीज़ को खोजते रहो।

रिश्तों का दीप जलता रहे,
प्यार की लौ से उसे पोसते रहो।
दुनिया के शोर में न भूल जाना,
कि घर की खामोशी से दोस्ती करते रहो।

चलो कहीं भी, बस लौटते रहो,
घर की राहों को हमेशा सजाते रहो।

©baba electrical wale
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