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पल्लव की डायरी तपती दोपहरी, होता है रात का जाड़ा सी

पल्लव की डायरी
तपती दोपहरी, होता है रात का जाड़ा
सीना चीरकर धरती का,अपना पसीना बहाता है
रोपा बीज खाद पानी लगाया
तब आसमान तक फसलो का परचम फैलाता है
कहती है दुनिया मुफ़्त में कितने गुना पाया
वैश्वीकरण के इस दौर में,सब मूल्य आधारित है
मगर खेती किसानी की उपज का
निर्धारित मूल्य आंकने की 
सरकारों में कियो नही सामर्थ है
हक का लाभ  किसानों का है
मगर विचोलिये और व्यापारी 
उसे उभरने नही देते है
सीजन की फसल का कोटा भरके
वही फसल दुगनी दाम बसूलते है
कंगाली में इसकी दुर्दशा हो रही है
खेती किसानी भी राजनीति का शिकार हो रही है
                                               प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #wholegrain सरकारों में कियो नही सामर्थ है
#nojotohindi
पल्लव की डायरी
तपती दोपहरी, होता है रात का जाड़ा
सीना चीरकर धरती का,अपना पसीना बहाता है
रोपा बीज खाद पानी लगाया
तब आसमान तक फसलो का परचम फैलाता है
कहती है दुनिया मुफ़्त में कितने गुना पाया
वैश्वीकरण के इस दौर में,सब मूल्य आधारित है
मगर खेती किसानी की उपज का
निर्धारित मूल्य आंकने की 
सरकारों में कियो नही सामर्थ है
हक का लाभ  किसानों का है
मगर विचोलिये और व्यापारी 
उसे उभरने नही देते है
सीजन की फसल का कोटा भरके
वही फसल दुगनी दाम बसूलते है
कंगाली में इसकी दुर्दशा हो रही है
खेती किसानी भी राजनीति का शिकार हो रही है
                                               प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #wholegrain सरकारों में कियो नही सामर्थ है
#nojotohindi

#wholegrain सरकारों में कियो नही सामर्थ है #nojotohindi #कविता