हर शख्स के हाथ में कटोरा है, जिसके पास जितना है.. थोड़ा है| सांस - सांस मुजरिम बनी है, मेरी हर सांस ने मुझको तोड़ा है| हसरत-ए-ख़ुशी में भागता है वहशी, आदमी.. आदमी कहाँ है? घोड़ा है! मुझसे मांग रहा है इक़बाल-ए-जुर्म, मुंसिफ़ ने मेरा हाथ ऐसे मरोड़ा है| माँ - बाप से न पूछ उम्र का हासिल, पेट काट काट कर उन्होंने तुझे जोड़ा है| हर्फ़ - हर्फ़ उड़ता जाता है काग़ज़ से, तेरे नाम के बिना सब कोरा है| मेरे गुनाहों का तू ही हिसाब कर 'अंकित', मैंने हर फ़ैसला अब तुझ पर छोड़ा है| ©Ďîvŷã Řäĵ Řăĵpűț #Mic #begger #nojota