कोरोना कि डर से, बंधे जग के मुँह और हाथ मरने पर भी मिली नहीं अपने कंधों का साथ नींद न आए रात में, अजी आए न दिन में चैन खुल गई पट्टी मुखड़े कि, चेहरे, नैन हुए बेचैन अच्छा थे मुँह ढके हुए, सुख में थी दिन- रैन पर्दो जरूरत नहीं, हमें करनी होगी फ्रेश ब्रेन ©Anushi Ka Pitara #जरा #पर्दा #हटा