"इंसान नहीं हो सकता" इंसान क्यूं कहता हैं? अपने आप को अगर खुशी को ख़ुशी दर्द को दर्द नहीं कह सकता तु इंसान नही हो सकता l अगर थी नफ़रत तुझे इतनी तो अलग हो गया होता उसको सुलाया तूने ख़ुद सो गया होता l नहीं काँपता तेरा तन कठोर है तेरा मन तू इंसान नही हो सकता लड़ाई तो पहले भी हुई होगी ये पहली तो नहीं थी जो तूने ये कर दिखाया इंसानियत को करता है क्यू शर्मशार पहले भी करे होंगे तुने ऐसे वार l प्यार था क्या,या नफ़रत क्यू तुझे रहम ना आया? अपनी ही प्यारी के करके टुकड़े पूरी दिल्ली मे फेंक आया इंसानियत को तू बहुत पीछे छोड़ आया । दया गवाई कहा तूने हो गया कैसे इतना निर्दय अगर है तू इंसान, इस तरह इंसानियत नही खो सकता तु इंसान नही हो सकता l ©"बाबू बुलंदशरी" #alone #SAD #इंसानियत_भूलता_इंसान #इंसान नहीं हो सकता