चप्पलों से हुए शुरू, वही साइबर गुरु, अजी कुछ और सीख, देश को बढ़ाइये। सुनो जो कमाई हुई, जग में हँसाई हुई, एटीएम खोज नहीं, दिमाग सढ़ाइये। बड़ा वरदान पाया, हैंकिंग है जो बताया, यूं बेकार चीज छोड़, देश में लगाइये। फेसबुक हैक करो, एकाउन्ट ब्रैक करो, फेक वाली आईडी की, फ़ितूर भगाइये। याद बस यही रखो, स्वदेश से नहीं ठगो, देश का खाकर ही, छुरा नहीं घोंपिए। ©Bharat Bhushan pathak #स्वदेश से नहीं ठगो #मनहरण_घनाक्षरी_छंद