वो सपने गुज़र गए ------------------------- महबूब मेरे तेरी चाहत में, मैं ख़ुद को ही भूल गया। वो सपने गुज़र गए आकर देख जिन्हें मैं फूल गया। ख़्वाबों में जिस मलिका से मैं घंटो तक बतियाता था। सुबह हुई या नींद खुले तो फिर से मैं सो जाता था। जबसे तेरा दीदार हुआ तबसे मन मेरा कहता है। मेरे सपनों की शहजादी हर ख़्वाब हक़ीक़त होता है। वो सपने गुज़र गए ------------------------- महबूब मेरे तेरी चाहत में, मैं ख़ुद को ही भूल गया। वो सपने गुज़र गए आकर देख जिन्हें मैं फूल गया। ख़्वाबों में जिस मलिका से मैं घंटो तक बतियाता था।