ना जाने ऐसे क्यूं, ये सब हैं हो रहा, कुछ फासलों से, चक्र पूरा होते होते, सदा रह गया, दूरी तो ज्यादा नहीं, पर सफर लम्बा बन गया, कहने को समय तो बहुत मिला, पर वो कह ही ना कुछ सका| @रुचि झा #ना_जाने_क्यों