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असहाय होकर ही मैं जान पाया हूँ, 'संबल' कितना बड़ा छ

असहाय होकर ही मैं जान पाया हूँ,
'संबल' कितना बड़ा छल है।
 सोशल मीडिया पर अनगिनत मदद की गुहार है और गिनती के मदद के हाथ बढ़ रहे हैं। चाहकर भी मदद न कर पाना, मदद करने के प्रयास के बाद भी किसी का गुजर जाना, इतना असहाय, लाचार मानवता को देख मन नितांत पीड़ा से भर गया है।आज सच में लोगों को संबल की नहीं दवा, ऑक्सीजन, और हॉस्पिटल बेड की जरूरत है। संबल और सांत्वना छल के जैसा प्रतीत हो रहा है।#yqdidi #yqbaba #yqhindi #shayari #poetry #life #covid19  #collab
असहाय होकर ही मैं जान पाया हूँ,
'संबल' कितना बड़ा छल है।
 सोशल मीडिया पर अनगिनत मदद की गुहार है और गिनती के मदद के हाथ बढ़ रहे हैं। चाहकर भी मदद न कर पाना, मदद करने के प्रयास के बाद भी किसी का गुजर जाना, इतना असहाय, लाचार मानवता को देख मन नितांत पीड़ा से भर गया है।आज सच में लोगों को संबल की नहीं दवा, ऑक्सीजन, और हॉस्पिटल बेड की जरूरत है। संबल और सांत्वना छल के जैसा प्रतीत हो रहा है।#yqdidi #yqbaba #yqhindi #shayari #poetry #life #covid19  #collab