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मनुष्य की अंत:प्रज्ञा में ही शुभता का प्रत्यय निहि

मनुष्य की अंत:प्रज्ञा में ही शुभता का प्रत्यय निहित है, 
वह अशुभ का चयन अज्ञानता या विकल्प हीनता की स्तिथि मे ही 
करता है ।
अर्थात मनुष्य अपने संज्ञान में सदैव नैतिक ही बने रहना चाह्ता है।
अत: हमें मानवतावाद से कभी विमुख नही होना चाहिये और 
मानव सेवा को ही अपना प्रथम धर्म समझ कर उसका पालन करना चाहिये ।




-दीपांशी श्रीवास्तव #नैतिकता
मनुष्य की अंत:प्रज्ञा में ही शुभता का प्रत्यय निहित है, 
वह अशुभ का चयन अज्ञानता या विकल्प हीनता की स्तिथि मे ही 
करता है ।
अर्थात मनुष्य अपने संज्ञान में सदैव नैतिक ही बने रहना चाह्ता है।
अत: हमें मानवतावाद से कभी विमुख नही होना चाहिये और 
मानव सेवा को ही अपना प्रथम धर्म समझ कर उसका पालन करना चाहिये ।




-दीपांशी श्रीवास्तव #नैतिकता