अब आइने भी झूठ बोलते है, चेहरे को कहाँ पहचानते है। जो ढूंढते है अपनी वास्तविक वजूद को, मग़र कोसों दूर है,सच की परछाई से, क्योंकि अब आइने भी झूठ बोलते है। जो कल तक रूह का प्रतिबिंब था, आज झूठी शक्ल का नक़ाब बन बैठा है। अश्क़ों से भरें नैंन की अश्रुधार बन बैठा है, ये और कुछ नहीं झूठ का ठेकेदार बन बैठा है इसलिए ख़ुद की नज़रो में उठ जाओ, अपने दिल के आईने को साफ़ कर लो, ढूंढ़ो अपने सच्चे वजूद को। क्योंकि अब आईने सच नही बोलते। #मेरावजूद