एक लकड़ी का बकसा, जो था पूरी तरह बन्द उसमे फंस गया एक परिंदा, जो था मेहनती, बुद्धिमान और प्रचंड बहुत करी कोशिश उसने, उस बक्से को खोलने की लेकिन जब बहुत कोशिश करने के बाद भी वो बकसा ना खुला उसने तब भी ना मानी हार करता रहा अपनी चोंच से, वो उस बक्से पर वार फिर शाम हो गई , सूरज ढल गया वो थक कर लेट गया, मानो हार गया हो आखिरकार अगले दिन, फिर एक सुबह आई उस परिंदे कि मेहनत रग लाई उसके किए हुए वारो से, कुछ छेद बन गए थे,जिनसे निकल सूरज की रोशनी उस बक्से में आईं देख कर उस बक्से की चकाचौंध को उस बक्से के मालिक के मन में एक ख्वाहिश आईं और वो ख्वाहिश एक नया विचार, उसके दिमाग में लाई फिर उसे, एक कटर कटर की आवाज़ आई उसने तुरंत उस बक्से को खोल दिया और उस परिंदे कि जान बचाई परिंदे को ज़िन्दगी मिल गई और उस इंसान को एक नायाब बकसा और वो भी ऐसे खुश हुआ मानो कोई खुशी देखे, उसे हो गया हो एक अरसा #बक्सा