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उम्र भर की साज़िशें दीवानगी हद से आगे, मुर्शिद मेर

उम्र भर की साज़िशें 
दीवानगी हद से आगे,
मुर्शिद मेरा वो हक़ जता कर
मुझसे मुझे ही ले गया ! 

 DQ : 347

मेरी नींदें छीन कर वो रहनुमा
कुछ ऐसा जादू कर गया,

आँखें बंद करूँ
तो ख़्वाब उनके
खोलूँ भी तो वो चेहरा
उम्र भर की साज़िशें 
दीवानगी हद से आगे,
मुर्शिद मेरा वो हक़ जता कर
मुझसे मुझे ही ले गया ! 

 DQ : 347

मेरी नींदें छीन कर वो रहनुमा
कुछ ऐसा जादू कर गया,

आँखें बंद करूँ
तो ख़्वाब उनके
खोलूँ भी तो वो चेहरा