आँखों से ओझल हो गया, टूटा हुआ कोई तारा था उसे तरासा ऐसा की हीरा बना दिया अब वही कहते है मुझको खरीदने की तेरी अवकात नहीं by-Mahendra mujhko khareedne ki Teri aukat nhi