एक शायर है मेरे अंदर, शायराना अंदाज़ में रहता है......... लफ़्ज़ों से महफ़िल जीत लेता है, होठों से कुछ न कहता है............. मिलता हूँ मैं जब महबूब से, कमबख़्त गुमसुम सा रहता है........ लफ़्ज़ों से महफ़िल जीत लेता है, होठों से कुछ न कहता है............. तन्हाई में न जाने क्यों वो, मायूस सा बैठा रहता है............... लफ़्ज़ों से महफ़िल जीत लेता है, होठों से कुछ न कहता है............. दुनिया के ज़ुल्म-ओ-सितम, वो मुस्कुराते हुए सहता है............ लफ़्ज़ों से महफ़िल जीत लेता है, होठों से कुछ न कहता है............. ©Poet Maddy एक शायर है मेरे अंदर, शायराना अंदाज़ में रहता है......... #Poet#Words#Gathering#Victory#Meet#Lover#Silent#Desperate#World#Smile..............