बङी ,, मुश्किलें है,, जैसे कांटे ज्यादातर ,, और फूल कम ही,, खिले व,, बिछे रहते राहों में,, है,, यारों, बहुत, सताती है तन्हाई,, जैसे,, न चाहकर भी,, कोई,, नरक में ही हैं,,।। ©Captain Priyanshu #bateinhakikatzindagiki