कोई सबनम तो कोई बहर लिखता है, कोई जश्न-ए-बहार तो कोई कहर लिखता है, मैं कैसी बयां करू दास्तां-ए-इश्क यारों, कोई इसे अमृत तो कोई जहर लिखता है, #दास्तां_ए_इश्क़