अच्छा लगा हमें की तुमने... समझकर हमारी इस मजबूर-ए-माजी, दिखाया है अपना बड़प्पन, हमें लगा था की छोड़े नहीं होंगे तुमने अबतक अपनी बचपन; हम तो आज भी चाहते हैं तुम्हे, चाहे तो पढ़ सकती हो हमें... सोच कोई खुली लिफाफे, पर क्या करें यही दुनियावी रस्मों रिवाजों से जिम्मेदारियों में भी हुए हैं असली इजाफे माज़ी.....past शानो.....कँधों Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 Highlight and share this beautiful post so no one misses it!😍