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शिक्षक ने संजोए रखा धरोहर को और अपने इस साधारण से

शिक्षक ने संजोए रखा 
धरोहर को
और अपने इस साधारण से 
दिखने वाले जीवन मे
समाए रखी  
बहुव्यवक्तित्व प्रतिभाए 
तत्पश्चात पोषित करते हुए
पूर्ण रूप से विकसित होने पर 
दिया जन्म डॉक्टर को, वैज्ञानिकों को, 
और भी बहुत से व्यवसायों को
तेजी से बदलते हुए समय के अनुरूप 
ढाला स्वयं को तथा
किया एक सभ्य समाज का निर्माण, 
सींचा छात्रों को जैसे 
सींचता है, किसान बंजर भूमि
दिया आकार छात्रों के जीवन को जिस तरह
मिट्टी को, आकार देता है एक कुम्हार।

©Bhupendra Rawat
  शिक्षक ने संजोए रखा 
धरोहर को
और अपने इस साधारण से 
दिखने वाले जीवन मे
समाए रखी  
बहुव्यवक्तित्व प्रतिभाए 
तत्पश्चात पोषित करते हुए
पूर्ण रूप से विकसित होने पर

शिक्षक ने संजोए रखा धरोहर को और अपने इस साधारण से दिखने वाले जीवन मे समाए रखी बहुव्यवक्तित्व प्रतिभाए तत्पश्चात पोषित करते हुए पूर्ण रूप से विकसित होने पर #कविता

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