शब्द अंकित कर दूँ **************** आओ तेरे हृदय पटल पर प्रेम शब्द अंकित कर दूं विरह राग से दूर कंही जीवन मे मोती भर दूँ आओ तेरे सुर्ख लबों पे प्रीत का चुम्बन मैं जड़ दूँ बिखरी तेरी जुल्फों को बैजयंती का जुड़ा कर दूँ आओ संग बहारों में फूलों में रंगत मढ़ दूँ अंतर्मन के तपित अगन को गले लगा सिंचित कर दूँ। आओ अग्नि बेदी पे फेरे ले वर्णित कर दूँ जन्म-जन्म हम साथ रहे हर दुविधा खंडित कर दूँ। आओ आओ साथ चलो अब तपिस नहीं अब थकन नहीं वादियों के पार कंही अब अपना घर निर्मित कर लूं। दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़"" #शब्द अंकित कर दूँ