तेरे ही प्यार के रंगों की ओढ़ के चुनरिया पिया मैं तो तेरे ही रंगों में रंग गई, कल तक थी तुझसे बिल्कुल अनजान, प्यार का बंधन करके तेरी हो गई। तेरे नाम की लगाई है माथे पर बिंदिया तेरे ही नाम की हाथों में मेहंदी रचाई है, लाल जोड़ा पहन के सजी हूं आज मैं झिलमिल सितारों वाली चुनरी मंगाई है तेरी दुल्हन बनी हूं मांग में भरकर तेरे नाम का सिंदूर सोलह श्रृंगार पूरे किये हैं बड़ी मन्नतों व दुआओं के बाद जिंदगी में यह वस्ल की चाहत की रात आई है। तेरा साथ पाकर तो जिंदगी का हर मुश्किल सफर भी हंसते हंसते कट जाएगा, तेरे प्यार की खुशियों की छांव तले जिंदगी के सारे गम धीरे धीरे खिसक जाएंगे। १) श्रृंगार रस - रती / प्रेम प्रेम संबंधी वर्णन या सौंदर्य के प्रति वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं । श्रृंगार रस को रसों का प्रमुख यानी रसराज/रसपती भी कहा जाता है । ✔️समय - 28 फरवरी रात 12 बजे तक ✔️यह सब्सक्राइबर्स के लिए विशेष प्रतियोगिता है । अधिक जानकारी के लिए पिन paid story पढ़े। ✔️रचना लिखने के बाद पिन paid पोस्ट पर 'श्रृंगार रस' ऐसा कमेन्ट करे । याद रहे इस पोस्ट का कमेंट ऑप्शन बंद है । आपको पिन पोस्ट पर कमेंट करना है ।