तुम्हारी चाँद से चेहरों पर ये तेरी जुल्फों का पहरा है । मेरा इश्क़ इतना सच्चा है जितना समंदर का पानी गहरा है । कभी शक़ हो तो आकर ढूंढ लो हमें मेरे अंदर भी तुम्हारा ही छिपा चेहरा है । तुम बारिश की वो बुँदे हो जो मेरे लबों को छू जाते हो । मैं भी एक आसमाँ में छाया घाना कोहरा हु । :-हसीब अनवर