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रामायण सुर तरु की छाया । दुःख भये दूर निकट जो आया

रामायण सुर तरु की छाया ।
दुःख भये दूर निकट जो आया ।। आज राम नवमी के उत्सव में आओ अपने पूर्वजों के जींवन मूल्यों को आत्मसात करने का संकल्प ले ।कन्यापूजन चल रहा है।देवी स्वरूपा मातृशक्ति को प्रणाम कर collab करें ।आपके मन में अपने ग्रंथो को लेके जो भी अवधारणाएं है व्यक्त करें स्वागत है।मैं आपको तुलसीदास जी के रामचरित मानस की एक चौपाई सौंपता हूँ जिसमें रामायण को कल्पवृक्ष की संज्ञा दी है जो कि सभी सुखों को देने वाला है ।आप अपने विचार दें....स्वागत है 🌸💐🍨🙋
रामायण सुर तरु की छाया ।
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