ऐसा कैसे हो सकता है कि कविता कभी न मिलो मुझे तुम। वो जो सुबह-सुबह दिल दुखता है, क्या काफ़ी नहीं है वह, क्या नहीं है वह सच्चे स्नेह का संकेत? दिल का खेत बंजर हो चुका है! मिलन के पौधे ठूँठ में बदल गये हैं। गुलाब के कुसुम को हाथ लगाया तो चुभ चुका काँटा, नफ़रत करने लगा है गुलाब का कुसुम। ऐसा कैसे हो सकता है कि कविता कभी न मिलो मुझे तुम।। ...✍विकास साहनी ©Vikas Sahni #ऐसा#कैसे#हो#सकता#है#विकास#साहनी #womensday2021