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गूँज उठी आज उसके निकाह की शहनाई, जिसने कभी थी संग

गूँज उठी आज उसके निकाह की शहनाई,
जिसने कभी थी संग जीने मरने की कसमें खाई।

मोहब्बत की थी तो निभाने का हौसला तो रखते,
मुझसे अब सही नहीं जाती इश्क़ में ये जुदाई। 🌝प्रतियोगिता- 190🌝

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"शहनाई"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
गूँज उठी आज उसके निकाह की शहनाई,
जिसने कभी थी संग जीने मरने की कसमें खाई।

मोहब्बत की थी तो निभाने का हौसला तो रखते,
मुझसे अब सही नहीं जाती इश्क़ में ये जुदाई। 🌝प्रतियोगिता- 190🌝

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🌹"शहनाई"🌹

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केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I