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ईश्वर की अनमोल अतुल्य रचना है ‌तू, न रख किसी से अप

ईश्वर की अनमोल अतुल्य रचना है ‌तू, न रख किसी से अपनी अपेक्षा,
अंतर्मन का ज्ञान है जिसे यह!.. वह ना करता किसी से समीक्षा,
जो तेरे भीतर है, वह किसी और में नहीं!.. तो क्यों करनी किसी की उपेक्षा,
निष्ठावान होकर और कर्मशील बन, ना कर फल की प्रतीक्षा।
 1प्रतियोगिता संख्या 14 का शीर्षक है समीक्षा जिसका अर्थ है परीक्षण गुण दोष विवेचन समालोचन review scrutiny
2 मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें
3समय सीमा आज सुबह 7:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक रहेगी
4 आपको आपकी रचना लिखने के बाद कमेंट में डन लिखना आवश्यक है
5 उपहार स्वरूप प्रथम द्वितीय तृतीय सर्वश्रेष्ठ लेखक टॉप राइटर today कोहिनूर लेखक से नवाजा जाएगा
 #YourQuoteAndMine
Collaborating with Kavya Abhinandan
ईश्वर की अनमोल अतुल्य रचना है ‌तू, न रख किसी से अपनी अपेक्षा,
अंतर्मन का ज्ञान है जिसे यह!.. वह ना करता किसी से समीक्षा,
जो तेरे भीतर है, वह किसी और में नहीं!.. तो क्यों करनी किसी की उपेक्षा,
निष्ठावान होकर और कर्मशील बन, ना कर फल की प्रतीक्षा।
 1प्रतियोगिता संख्या 14 का शीर्षक है समीक्षा जिसका अर्थ है परीक्षण गुण दोष विवेचन समालोचन review scrutiny
2 मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें
3समय सीमा आज सुबह 7:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक रहेगी
4 आपको आपकी रचना लिखने के बाद कमेंट में डन लिखना आवश्यक है
5 उपहार स्वरूप प्रथम द्वितीय तृतीय सर्वश्रेष्ठ लेखक टॉप राइटर today कोहिनूर लेखक से नवाजा जाएगा
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