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आंखों की दरिया में जो सैलाब आया , उसमे ना जाने कि

आंखों की दरिया में जो सैलाब आया ,
 उसमे ना जाने कितने अरमान बह गए ,
जो बिखरी पड़ी हसरतें थीं वो भी बच ना सकीं ,
उसमे ना जाने कितने यादों के सामान बह गए ।।
©रिमझिम #nojotohindi#hindi#poetry#shayari
आंखों की दरिया में जो सैलाब आया ,
 उसमे ना जाने कितने अरमान बह गए ,
जो बिखरी पड़ी हसरतें थीं वो भी बच ना सकीं ,
उसमे ना जाने कितने यादों के सामान बह गए ।।
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